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बालाजी श्रीवास्तव ने संभाला दिल्ली पुलिस के नए कार्यकारी आयुक्त का पदभार

बालाजी श्रीवास्तव ने संभाला दिल्ली पुलिस के नए कार्यकारी आयुक्त का पदभार

 

सुनील वर्मा

नई दिल्लीः दिल्ली के पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव का कार्यकाल आज खत्म हो गया. गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस के ही विजिलेंस डिपार्टमेंट में तैनात स्पेशल कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव को पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है. बुधवार को श्रीवास्त्व ने बालाजी को आयुक्त का पदभार सौंप दिया.

जूनियर बालाजी को सेल्‍यूट मारेंगे सीनियर ताज हसन

हालांकि, बालाजी श्रीवास्तव को दिल्ली पुलिस कमिश्नर का कार्यभार सौंपे जाने के बाद पुलिस महकमे में एक नया विवाद खड़ा होने की आशंकाएं भी जताई जा रही हैं. अब सवाल ये भी उठ रहा है कि 1987 बैच के सीनियर आईपीएस अधिकारी और पुलिस कमिश्नर बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे स्पेशल कमिश्नर (ट्रैफिक) ताज हसन अब अपने से जूनियर अधिकारी के अंडर में काम कर सकेंगे या अपना तबदाल कहीं ओर करा लेंगे.  

सतेन्द्र गर्ग व  ताज हसन 

दरअसल, आमतौर पर पुलिस कमिश्नर का चयन उनके बैच और सीनियरिटी के आधार पर होता रहा है. एसएन श्रीवास्तव 1985 बैच के यूटी काडर के आईपीएस अधिकारी थे, जिन्होंने पिछले साल नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों के बाद 30 जनवरी को यह कार्यभार संभाला था. उनके बैच के बाकी सभी अफसर रिटायर हो चुके हैं. अगले कमिश्नर का चयन 1986 बैच के अफसरों में से होना था,  संयोगवश इस बैच के सभी अधिकारी पहले ही रिटायर हो चुके हैं. 1987 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ताज हसन और लंबे समय से गृह मंत्रालय में तैनात सत्येंद्र गर्ग को ही इस पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था, लेकिन गृह मंत्रालय ने इन दोनों को ही दरकिनार करके 1988 बैच के अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव को पुलिस कमिश्नर का कार्यभार सौंपने का निर्णय लिया. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि या तो ताज हसन अपने बैच में एक साल जूनियर अपने आयुक्त को सेल्यूट मारेंगे या उनका तबादला जल्द ही किसी अन्य विभाग में किया जा सकता है.

कौन हैं दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर बालाजी श्रीवास्‍तव?

बालाजी श्रीवास्तव
यूपी की राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद इलाके के रहने वाले बालाजी श्रीवास्तव ने दिल्ली से ही उच्च शिक्षा प्राप्त की है. उन्होंने 1985 में सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र से स्नातक किया. 1987 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र से एमए व 2003 में एलएलबी करने के बाद उन्हों ने सिविल सर्विस के जरिए 1988 बैच के यूटी काडर के आईपीएस के रूप में चुना गया. 

दिल्लीं में बतौर डीसीपी उनकी पहली नियुक्ति डीसीपी ईस्ट के रूप में थी. बालाजी श्रीवास्तव अपने अब तक के कार्यकाल के दौरान कई अहम पदों पर रह चुके हैं. वे पुदुचेरी और मिजोरम के डीजीपी रह चुके हैं. दिल्ली पुलिस में वह इंटेलिजेंस विंग, आर्थिक अपराध शाखा और स्पेशल सेल के स्पेशल कमिश्नर भी रह चुके हैं. बालाजी अंडमान-निकोबार में अडिशनल डायरेक्टर जनरल भी रहे हैं. कैबिनेट सचिवालय में 9 साल तक काम कर चुके बालाजी श्रीवास्तव ने अपने कार्यकाल के दौरान कई संवेदनशील मामलों को हैंडल किया. वे फिलहाल दिल्ली पुलिस की विजिलेंस यूनिट में स्पेशल कमिश्नर के पद पर तैनात थे. 

एसएन श्रीवास्तव का सेवा काल खत्मप होंने से एक दिन पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि उनका कार्यकाल बढ़ सकता है. लेकिन बालाजी श्रीवास्तव को सीपी के रूप में एडीशनल चार्ज मिलने के आदेश के साथ ही ये कयास खत्‍म हो गए. हांलाकि यहां ये बताना जरूरी है कि गृह मंत्रालय ने एसएन श्रीवास्तव को भी पहले पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार ही सौंपा था, जबकि कमिश्नर के रूप में उनकी पूर्णकालिक नियुक्ति के संबंध में औपचारिक आदेश इस साल मई में जाकर जारी किए गए. 

बालाजी श्रीवास्तव का कार्यकाल मार्च-2024 तक है. ऐसे में गृह मंत्रालय उन्हें अतिरिक्त प्रभार सौंपकर ये परखना चाहता है कि वे सरकार की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे या नहीं. अगर वे सरकार के मापदंडों के अनुसार काम करते रहे तो उनकी नियुक्ति को पक्का किया जा सकता है अन्यथा उनका कहीं अन्यत्र तबादला कर किसी अन्य को भी आयुक्त पद की कुर्सी सौंपी जा सकती है. लेकिन अहम बात ये है कि बालाजी की नियुक्ति से पुलिस आयुक्त बनने की दौड़ में शामिल सतेन्द्र गर्ग सबसे ज्यादा मायूय हुए है.

एसएन श्रीवास्तव

कानून व्यवस्था कायम रखना होगा बड़ी चुनौती

बालाजी श्रीवास्तव के सामने राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था कायम रखना बड़ी चुनौती होगी.  दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर कृषि कानून के विरोध में आंदोलनकारी 26 जनवरी की तरह कोई नया उपद्रव ना कर दें इस पर नजर रखना उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी. गाजीपुर टिकरीबार्डर व सिंघु बार्डर पर रास्ताव रोककर बैठे किसानों और परेशानी झेलने वाले स्था नीय लोगों के बीच समय-समय पर होंने वाली झडपों को रोकना भी उनके लिए एक चुनौती ही है. साथ कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना के बीच मिली छूट के दौरान बाजारों समेत अन्य जगहों पर लोगों से कोविड नियमों का पालन करवाना भी एक चुनौती ही है.

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